World Mental Health Day 2019: हर साल 8 लाख लोग मानसिक विकार की वजह से करते हैं 'आत्महत्या'

World Mental Health Day 2019: हर साल 8 लाख लोग मानसिक विकार की वजह से करते हैं 'आत्महत्या'

रोहित पाल

आज 10 अक्टूबर है और आज के दिन हर साल पूरी दुनिया में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे का केवल एक मकसद है दुनियाभर में मेंटल हेल्थ यानि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों को जागरूक करना, क्योंकि लोगों का शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का बेहतर होना जरूरी है और लोग मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें।

मानसिक स्वास्थ्य क्या है-

कहते हैं न कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। अगर आपका मानसिक स्वास्थ्य अगर ठीक हो आप स्वस्थ रहते हैं। लेकिन एक सवाल है कि आखिर मानसिक स्वास्थ्य क्या है? और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है, तो मैं आपको बता दूं कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कार्यों पर निर्भर करता है। मानसिक स्वास्थ्य इससे भी प्रभावित होता है कि हम कैसे सोचते हैं। जीवन के साथ सामना करके कैसे काम करते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को अगर परिभाषित करें तो- मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का अहसास रहता है। जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, लाभकारी और उपयोगी रूप से काम कर सकता है और अपने समाज के प्रति योगदान करने में सक्षम होता है। वैसे हम मानसिक स्वास्थ्य को पूरी तरह से परिभाषित नहीं कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के हर स्तर पर महत्वपूर्ण होता है, जैसा कि बचपन, किशोरावस्था और वयस्क अवस्‍था से लेकर जीवन के अंत तक।

मानसिक रोग क्या है-

मानसिक रोग, ऐसे विकार जो आपके व्यवहार, सोच और मनोदशा को प्रभावित करते हैं। मानसिक रोग के कई उदाहरण हैं- जैसी तनाव, चिंता। कभी-कभी इंसान किन्हीं कारणों की वजह से सामाजिक वातावरण से अपना तालमेल नहीं बिठा पाता है तो वह परेशान रहने लगता है और उसका व्यवहार असामान्य रहने लगता है। जिसे मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मानसिक रोग भी कहते हैं।

अक्सर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हो जाती हैं और धीरे-धीरे मानसिक बीमारी बन जाती हैं। मानसिक बीमारी धीरे-धीरे तनाव पैदा कर देती हैं और आपकी कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। अगर समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो मानसिक बीमारी आपको बहुत परेशान कर सकती है। और आपके दैनिक जीवन व दिनचर्या में समस्याएं पैदा कर सकती है, जिससे कि इसका सीधा प्रभाव आपके रिश्तों, काम और स्कूल पर पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति को कोई मानसिक दिक्कत है तो उसे नज़रअंदाज करने की जगह उसके बारे में खुलकर बात की जाए। इस साल वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे का थीम है, 'सुइसाइड प्रिवेंशन यानि आत्महत्या की रोकथाम'।

विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के आंकड़ों के अनुसार हर 40 सेकेंड़ में 1 व्यक्ति आत्महत्या करता है यानि हर साल करीब 8 लाख लोगों की मौत हो जाती है। आत्महत्या एक बेहद गंभीर और दुखद स्तिथि है लेकिन इसे रोका जा सकता है क्योंकि आत्महत्या अपने आप में कोई मानसिक बीमारी नहीं है बल्कि इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं, जैसे डिप्रेशन, तनाव, चिंता, ऐंग्जाइटी आदि जिनके कारण व्यक्ति आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर यही कोशिश है कि आत्महत्या को कैसे रोका जाए।

वयस्कों में मानसिक समस्याएं:

सभी मानसिक रोगों में से आधे 14 साल की उम्र तक शुरू होते है लेकिन अधिकांश मामले रोग की जानकारी और उपचार के बिना रह जाते है। किशोरों में रोग के संदर्भ में अवसाद(डिप्रेशन) तीसरा प्रमुख कारण है। आत्महत्या 15 से 29 साल के लोगों के बीच मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। किशोरों में अल्कोहल और मादक पदार्थों का हानिकारक उपयोग कई देशों में एक प्रमुख समस्या है तथा यह असुरक्षित यौन संबंध या खतरनाक ड्राइविंग जैसा जोखिमपूर्ण व्यवहार उत्पन्न करता है। आहार विकार भी चिंता का विषय हैं।

मानसिक बीमारियों की वजह:

अगर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान दिया जाए तो मानसिक बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है। काम से जुड़ा स्ट्रेस, रिलेशनशिप का स्ट्रेस, पैसों से जुड़ा तनाव, इमोशन से जुड़ा तनाव, ऐंग्जाइटी यानी बेचैनी आदि कई फैक्टर्स हैं जो इंसान को मानसिक रूप से बीमार बनाते हैं।

माता पिता कर सकते हैं मदद:

बच्चों के माता-पिता और शिक्षक घर एवं स्कूल में रोजमर्रा की चुनौतियों का मुकाबला करने में सहयोग के लिए बच्चों और किशोरों के जीवन कौशल निर्माण करने में मदद कर सकते हैं जैसे कि सामाजिक कौशल, समस्या सुलझाने का कौशल और आत्मविश्वास बढ़ाना। संसाधन और सेवाएं उत्पन्न और विकसित करने पर केंद्रित होना चाहिए, जोकि व्यस्कों को सशक्त और जुड़ा महसूस होने में सहयोग करता हैं। मनोवैज्ञानिक सहयोग स्कूलों और अन्य सामुदायिक स्तरों पर प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रदान किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विकारों का पता लगा सकते हैं तथा उन्हें प्रतिबंधित कर सकते हैं।

 

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